शुभ मुहूर्त क्या होता है? इसका ज्योतिष में क्या उपयोग है?
शुभ मुहूर्त का अर्थ:
शुभ मुहूर्त एक विशेष समय होता है, जिसे किसी भी कार्य की शुरुआत के लिए सबसे अनुकूल माना जाता है। यह मुहूर्त ग्रहों, नक्षत्रों और पंचांग के आधार पर तय किया जाता है। Aaj ka shubh muhurat में किए गए कार्यों को सफलता, समृद्धि और सौभाग्य मिलने की संभावना अधिक होती है।
शुभ मुहूर्त का ज्योतिष में महत्व:
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, किसी भी कार्य की सफलता में सही समय और ग्रहों की स्थिति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। शुभ मुहूर्त का उपयोग मुख्य रूप से निम्नलिखित कार्यों में किया जाता है:
विवाह (Marriage):
सही मुहूर्त में विवाह करने से दांपत्य जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।गृह प्रवेश (Housewarming):
नए घर में प्रवेश करने से पहले शुभ मुहूर्त देखने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।व्यापार की शुरुआत (Business Start):
कोई नया व्यापार शुरू करने के लिए शुभ मुहूर्त देखने से सफलता और आर्थिक उन्नति होती है।
वाहन या संपत्ति खरीदना (Buying Vehicle or Property):
शुभ मुहूर्त में खरीदी गई संपत्ति और वाहन लंबे समय तक लाभदायक रहते हैं।
यज्ञ, हवन और पूजा-पाठ (Religious Rituals):
धार्मिक अनुष्ठान, यज्ञ, और हवन करने के लिए शुभ मुहूर्त विशेष रूप से देखा जाता है।
नामकरण और विद्यारंभ संस्कार (Naming & Education Ceremony):
बच्चे के नामकरण और शिक्षा की शुरुआत के लिए भी शुभ मुहूर्त देखा जाता है, जिससे जीवन में उन्नति होती है।
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शुभ मुहूर्त कैसे निकाला जाता है?
शुभ मुहूर्त निकालने के लिए पंचांग का उपयोग किया जाता है, जिसमें निम्नलिखित कारकों को ध्यान में रखा जाता है:
वार (Day of the Week) – सप्ताह के सातों दिनों का अलग-अलग महत्व होता है।
तिथि (Lunar Date) – चंद्रमा की स्थिति के आधार पर तिथि तय होती है।
नक्षत्र (Constellation) – 27 नक्षत्रों में से कौन सा नक्षत्र चल रहा है, यह देखा जाता है।
योग (Yoga) – यह विशेष खगोलीय गणना पर आधारित होता है।
करण (Karana) – यह तिथि का आधा भाग होता है और शुभ-अशुभ समय को प्रभावित करता है।
राहु काल, गुलिक काल, यमगंड (Inauspicious Periods) – इन अशुभ समयों में शुभ कार्य करने से बचा जाता है।
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आज, 28 मार्च 2025, शुक्रवार का पंचांग निम्नलिखित है:
हिन्दू मास एवं वर्ष:
विक्रम संवत्: 2081 पिंगल
शक संवत्: 1946 क्रोधी
माह: चैत्र (कृष्ण पक्ष)
तिथि:
कृष्ण पक्ष चतुर्दशी: प्रातः 11:03 बजे से सायं 7:55 बजे तक
अमावस्या: सायं 7:55 बजे के बाद
नक्षत्र:
पूर्वभाद्रपदा: रात्रि 10:09 बजे तक
उत्तरभाद्रपदा: रात्रि 10:09 बजे के बाद
योग:
शुक्ल: रात्रि 2:06 बजे तक
ब्रह्म: रात्रि 2:06 बजे के बाद
करण:
विष्टि (भद्रा): प्रातः 9:32 बजे तक
शकुनि: प्रातः 9:32 बजे से सायं 7:55 बजे तक
चतुष्पद: सायं 7:55 बजे से प्रातः 6:13 बजे तक
नाग: प्रातः 6:13 बजे के बाद
सूर्योदय और सूर्यास्त:
सूर्योदय: प्रातः 6:26 बजे
सूर्यास्त: सायं 6:37 बजे
चन्द्रोदय और चन्द्रास्त:
चन्द्रोदय: प्रातः 5:29 बजे
चन्द्रास्त: सायं 5:38 बजे
चन्द्रमा की स्थिति:
कुंभ राशि में सायं 4:48 बजे तक, उसके बाद मीन राशि में प्रवेश
शुभ मुहूर्त:
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:03 से 12:52 बजे तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 2:30 से 3:19 बजे तक
गोधूलि मुहूर्त: सायं 6:34 से 6:58 बजे तक
अमृत काल: सायं 4:40 से 6:11 बजे तक
निशिता मुहूर्त: रात्रि 12:03 से 12:50 बजे तक
अशुभ मुहूर्त:
राहुकाल: पूर्वाह्न 10:30 से दोपहर 12:00 बजे तक
यमगण्ड: प्रातः 3:31 से 5:03 बजे तक
गुलिक काल: प्रातः 7:50 से 9:22 बजे तक
दुर्मुहूर्त: प्रातः 8:54 से 9:43 बजे तक
विशेष व्रत एवं त्योहार:
चैत्र कृष्ण चतुर्दशी
भद्रा: प्रातः 9:32 बजे तक
पंचक
निष्कर्ष (Conclusion):
शुभ मुहूर्त का पालन करने से जीवन में सुख, सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है। सही समय पर किए गए कार्य अधिक लाभकारी और सकारात्मक परिणाम देते हैं। इसलिए, किसी भी महत्वपूर्ण कार्य को करने से पहले शुभ मुहूर्त का विचार करना आवश्यक माना जाता है।